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दस साल पुराने चर्चित रोहित आत्मदाह प्रकरण में आंदोलनकारियों को मिली राहतए शासन ने मुकदमा लिया वापस

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नैनीताल जनपद के रामनगर में करीब दस साल पहले हुए चर्चित रोहित आत्मदाह प्रकरण में शासन द्वारा मुकदमा वापस लेने से आंदोलनकारियों को राहत मिली है। पुलिस ने 20 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया था। मुकदमे में ट्रायल के दौरान ही दो लोगों की मौत हो गयी थी। मामले में तत्कालीन एसएसआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ विभिन्न संगीन धाराओं में मुकदमा कायम किया था।

मालूम हो कि नवम्बर 2014 में लखनपुर स्थित पानी की टंकी पर कुछ छात्र नेता आत्मदाह की धमकी देते हुए चढ़े थे। जिसमें छात्र नेता रोहित पांडे बुरी तरह झुलस गया था। बाद में दिल्ली में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गयी थी। पुलिस ने इस मामले में बीस लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। दस साल पुराना चर्चित रोहित आत्मदाह प्रकरण में शासन द्वारा मुकदमा वापस लेने से आंदोलनकारियों को राहत मिली है। पुलिस ने इस मामले में बीस लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और हरीश रावत मुख्यमंत्री थे।

रोहित की मौत के बाद रामनगर में जनाक्रोश भी फैल गया था। कोर्ट ट्रायल के दौरान दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई। यह मुकदमा संजय नेगी, आशा बिष्ट अन्य बनाम सरकार था। आरोपियों के अधिवक्ता दीपक जोशी ने बताया कि मामला सिविल जज जूनियर डिविजन कुलदीप नारायण की अदालत में चल रहा था। दीपक जोशी ने बताया कि मुकदमे में ट्रायल के दौरान ही दो लोग कपिल जोशी और चंचल जोशी की मौत हो गयी थी। चार नवम्बर 2014 को तत्कालीन एसएसआई मोहन चंद्र पांडे ने सभी आरोपियों के खिलाफ विभिन्न संगीन धाराओं में मुकदमा कायम किया था। अधिवक्ता जोशी ने बताया कि अब प्रदेश सरकार ने जनहित में इस मुकदमे को वापस लिए जाने के लिए न्यायालय में आवेदन किया था। सिविल जज जू. डि. कुलदीप नारायण ने सरकार के आवेदन को स्वीकार कर लिया है। अदालत के इस फैसले से आंदोलनकारियों ने राहत की सांस ली है।