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लोकलुभावन नहीं मनभावन है बज़ट : प्रो.अग्रवाल

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सरकार हाल के वर्षों में बज़ट के अलावा भी वर्ष भर विभिन्न जनहितकारी, सर्व कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को सामने लाती है जिससे बज़ट में इनको सुनने के प्रति उत्सुकता पहले की भांति नहीं होती। अमृतकाल के पहले बज़ट के सभी आंकड़े और गणना आदि के बाद ही वास्तविक लाभ हानि सामने आएगी। वेतनभोगी वर्ग को अधिकतम 37,500 की राहत एक अच्छा कदम है। देश की आर्थिक परिदृश्य के मद्देनजर इसे लोकलुभावन नहीं मनभावन बज़ट कहा जा सकता है।
-प्रोफेसर अनुराग अग्रवाल, आर्थिक मामलों के जानकार