तकनीकी परीक्षण में पास हुई चम्पावत जिले में बनने वाले दोनों हेलीपोर्ट के लिए प्रस्तावित भूमि, 620.30 लाख की बनी है डीपीआर
चम्पावत। जिले में प्रस्तावित दोनों हेलीपोर्ट के लिए जमीन के चयन को हरी झंडी मिलने के बाद अब तकनीकी परीक्षण भी पूरा हो गया है। तकनीकी समिति ने 620.30 लाख रुपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) की अनुशंसा की है। इसके आधार पर डीएम ने उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) को पत्र भेज वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति के लिए कार्यवाही का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीन माह पूर्व चम्पावत जिले में डूंगरासेठी और एबटमाउंट में हेलीपोर्ट का ऐलान किया था। सर्वे में हेलीपोर्ट की अनुकूल रिपोर्ट के बाद तकनीकी टीम के परीक्षण में भी ये दोनों स्थान हेलीपोर्ट के लिए उपयुक्त पाए गए हैं। निर्माण विंग के मुख्य महाप्रबंधक की अध्यक्षता में चार सदस्यीय तकनीकी समिति ने तकनीकी परीक्षण में इसे सही पाया। जिला पर्यटन विकास अधिकारी अरविंद गौड़ ने बताया कि समिति ने डीपीआर के लिए 620.30 लाख रुपये की राशि को औचित्यपूर्ण पाया। हेलीपोर्ट एक छोटा हवाई अड्डा है, जो हेलिकॉप्टर और कुछ अन्य लिफ्ट विमानों के उपयोग के लिए उपयुक्त है। बताया गया है कि 393.62 लाख रुपये चम्पावत के डड़ा बिष्ट में गौचर भूमि में हेलीपोर्ट के लिए व 226.68 लाख रुपये एबटमाउंट में हेलीपोर्ट के लिए 38 नाली जमीन के लिए स्टीमेट बनाया गया है।
चम्पावत जिले में उड़ान योजना के अंतर्गत डीपीआर तैयार कर वित्तीय, प्रशासनिक स्वीकृति के लिए यूकाडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से आग्रह किया गया है। .नरेंद्र सिंह भंडारीए डीएमए चंपावत।
अधूरे हेलीपैड के सर्वे के लिए पांच लाख मिले
चम्पावत। तीन साल से अधर में लटके हेलीपैड के काम को लेकर उम्मीद जगी है। इस निर्माणाधीन हेलीपैड के सर्वे के लिए पांच लाख रुपये मंजूर हो गए। सर्वे का काम नवंबर के अंतिम सप्ताह तक पूरा हो जाएगा। चम्पावत में उत्तराखंड इमरजेंसी एसिस्टेंस प्रोजेक्ट के तहत 0.20 हेक्टेयर जमीन पर 2016 से हेलीपैड का काम शुरू हुआ था। आगणन की पूरी राशि 99 लाख रुपये खर्च होने के बाद से तीन साल से काम बंद है। हेलीपैड को नवंबर 2018 में पूरा होना था, लेकिन काम पूरा होना तो दूर 2019 से काम ही ठप है। अलबत्ता अब सर्वे के लिए बजट मंजूर हुआ है। लोनिवि के ईई विभोर गुप्ता ने बताया कि सर्वे के लिए पांच लाख रुपये मिल चुके हैं। नवंबर के अंतिम सप्ताह तक सर्वे पूरा हो जाएगा। दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक डीपीआर शासन को भेज दी जाएगी।