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चम्पावत : खाई में गिरने से दो ग्रामीण हुए घायल, ग्रामीणों ने मोबाइल की रोशनी में डोली से छह किमी दूर सड़क तक पहुंचाया

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चम्पावत। सीमांत मंच क्षेत्र के ग्राम मटकांडा और बकोड़ा के दो ग्रामीण घर जाते समय देर शाम 100 मीटर गहरी खाई में गिर गए। रात में कड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने घायलों को खाई निकाला। इसमें एक गंभीर घायल को खाई निकालकर डोली की मदद से मंच पहुंचाया और वहां से एंबुलेंस की मदद से इलाज के लिए चम्पावत जिला अस्पताल लाया गया।

शनिवार देर शाम करीब सात बजे ग्राम पंचायत बकोड़ा निवासी चंचल सिंह (48), मटकांडा के जगत सिंह (50) और उनका पुत्र अर्जुन सिंह मंच से घर की तरफ पैदल जा रहे थे। मरथपला गांव के पास अचानक चंचल सिंह का पैर फिसल गया और वह खाई में गिर गए। उन्हें बचाने की कोशिश में उनके साथी जगत सिंह भी खाई में गिर गए। पीछे से चल रहे जगत सिंह के पुत्र अर्जुन ने दोनों को गिरते देखा और भागकर मरथपला गांव के लोगों को जानकारी दी। इसके बाद गांव के धीरज सिंह और अन्य ग्रामीण मौके पर पहुंचे।

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ग्राम पंचायत मंच से भी युवाओं को मदद के लिए बुलाया गया। मौके पर ग्रामीणों ने टॉर्च और मोबाइल की रोशनी में खोजबीन शुरू की। पहले चंचल सिंह दिखाई दिए, उन्हें ज्यादा चोट नहीं आई थी जबकि जगत सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाना जरूरी था। ऐसे में ग्रामीणों ने डंडों की मदद से चादर में लपेट कर जुगाड़ की डोली बनाई। घायल जगत सिंह को मोबाइल की रोशनी में करीब ढाई घंटे पैदल चलकर छह किमी मंच तक लाया गया। मंच चौकी इंचार्ज मनोहर सिंह ने भी टीम के साथ मौके पर पहुंचकर घायल को अस्पताल पहुंचाने में मदद की।
इसके बाद 108 एंबुलेंस वाहन की मदद से रात 10:30 बजे घायल जगत सिंह को चम्पावत अस्पताल के लिए भेजा गया। डोली में मरीज को लाने वालों में जगत सिंह के पुत्र अर्जुन सिंह, धीरज सिंह, गंगा सिंह, कृष्ण सिंह, विनोद सिंह, दीपक सिंह, अनिल सिंह, नंद सिंह, मनोज सिंह, राजेंद्र सिंह, संजय सिंह, सुंदर सिंह, राहुल महर आदि युवाओं ने सहयोग दिया। इलाज के बाद उनकी हालत में सुधार है।

100 से अधिक लोगों को डोली लाया जा चुका
सीमांत तल्ला देश के सड़क विहीन अब तक 100 से अधिक लोगों को डोली लाया जा चुका है। उत्तराखंड अपनी 25वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन यह घटना इस सच्चाई को उजागर कर रही है कि सड़क विहीन गांव मूलभूत सुविधाओं के अभाव में खाली होते जा रहे हैं। नेता और मंत्री हवाई सेवाओं से सफर कर रहे हैं, लेकिन सीमांत के गांव मटकांडा, बकोड़ा और मरथपला के लोग आज भी पैदल चलने के लिए मजबूर हैं। मरीजों को डोली पर ढोना पड़ रहा है। मंच-बकोड़ा सड़क का सर्वे पूरा हो चुका है, लेकिन निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि जिस दिन यहां पोकलेन मशीन चलेगी उस दिन कहेंगे कि हमारे अच्छे दिन आ गए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि घायल को डोली से ले जाना भी आसान नहीं था। एक तो दर्द में थे तेज चलने में डोली हिल रही थी। गांव तक सड़क पहुंचती तो ग्रामीणों के दिन भी सुधर जाते। सरकार को हमारी समस्या पर ध्यान देने की जरूरत है।