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UOU विवि के पीआरओ को नेट और पीएचडी बगैर बना दिया प्रोफेसर, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

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उत्तराखंड मुक्त विवि (यूओयू) के जन संपर्क अधिकारी (पीआरओ) को नेट और पीएचडी बगैर ही प्रोफेसर बनाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने 25 अप्रैल तक जवाब मांगा है। यूओयू में वर्ष 2021 में प्रोफेसरों के 25 पदों पर भर्ती हुई थी। उसी दौरान यूओयू के जन संपर्क अधिकारी राकेश रयाल को पत्रकारिता विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर बना दिया गया था। यूओयू शिक्षक संघ अध्यक्ष व प्राध्यापक डॉ. भूपेन सिंह ने रयाल की नियुक्ति को अवैध बताते हुए सरकार से इसे रद्द करने की मांग उठाई थी। कार्रवाई नहीं होने पर डॉ. भूपेन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस मनोज कुमार तिवारी और जस्टिस पंकज पुरोहित की बेंच ने राज्य सरकार, यूओयू और राकेश रयाल को नोटिस जारी कर दिया है।

यूओयू की भर्तियों में बड़ी धांधली का आरोप
याचिकाकर्ता डॉ. भूपेन सिंह ने कहा कि राकेश रयाल के अंशकालिक-अतिथि शिक्षक और पीआरओ के अनुभवों को मनमाने तौर पर असिस्टेंट प्रोफेसर के बराबर माना गया है। याचिका में उन्होंने यूओयू की भर्तियों में बड़े पैमाने में धांधली के आरोप भी लगाए गए हैं। मामले सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पूछा है किन नियमों के तहत पीआरओ से प्रोफेसर बनाया। कोर्ट ने संबंधितों को नोटिस जारी करते हुए 25 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।

पहले भी आ चुके हैं मामले
यूओयू में पिछले साल भी अवैध तरीके से नियुक्तियों का मामला जोरशोर से उठा था। हल्द्वानी निवासी किसी व्यक्ति ने उस मामले को काफी उठाया था। उस वक्त भी आरोप लगे थे कि यूओयू में मानकों को तार-तार कर प्रोफेसर भर्ती किए जा रहे हैं।