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उत्तराखंड : फसलों की बर्बादी को रोकने की कवायद, बंदरों को गांव से भगाने के लिए चौकीदार रखेंगी महिलाएं

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Uttarakhand: Exercise to stop the wastage of crops, women will keep watchmen to drive away monkeys from the village

उत्तराखंड के जनपद पिथौरागढ़ के ब्लाक मूनाकोट के मजिरकांडा गांव के लोग बंदरों से खासे परेशान हैं। अब वे अपनी फसलों की रक्षा के लिए विशेष कदम उठाने जा रहे हैं। गांव की महिलाओं ने बंदरों को गांव से भगाने के लिए चौकीदार रखने का निर्णय लिया है। इसके लिए प्रत्येक परिवार हर माह सौ-सौ रुपये चंदा जमा करेंगे।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नेपाल सीमा के नजदीकी मजिरकांडा गांव में अच्छी खेती होती है। परंपरागत फसलों के साथ ही गांव के लोग सब्जी, दूध का उत्पादन कर आजीविका चलाते हैं। गांव में वर्तमान में 120 परिवार रहते हैं। कई नाली भूमि पर खेती करने वाले ग्रामीण बंदरों के आतंक से खासे परेशान हैं। सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिलने से परेशान महिलाओं ने खुद ही बंदरों को भगाने का निर्णय लिया है।

गांव की हीरा भट्ट, कमला भट्ट बताती हैं कि ग्रामीण काफी मेहनत कर फल, फसल और सब्जी लगाते हैं, लेकिन इनके तैयार होते ही बंदरों का हमला शुरू हो जाता है। काफी कोशिशों के बाद भी बंदर गांव से दूर नहीं हो रहे हैं। शासन-प्रशासन से बंदरों को गांव से दूर रखने के लिए कई बार योजना बनाने की मांग की जा चुकी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस पर महिलाओं ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हीरा भट्ट की पहल पर गांव में खुली बैठक की जिसमें तय हुआ कि बंदरों को भगाने के लिए अब गांव में चौकीदार तैनात किया जाएगा। इसके लिए हर परिवार प्रत्येक माह 100-100 रुपये का सहयोग देगा। इस राशि से चौकीदार का मानदेय और बंदरों को भगाने के लिए जरूरी उपकरण आदि खरीदे जाएंगे। बंदरों को खेतों से दूर रखने के लिए जरूरी जानकारी वन विभाग, कृषि विभाग आदि से जुटाई जाएगी। बैठक में महिला मंगल दल की सदस्य पार्वती भट्ट, कलावती भट्ट, सरस्वती, हिमानी, गोदावरी, हरिप्रिया आदि महिलाएं मौजूद थीं।

गांव में उत्पादित होने वाली प्रमुख फसल और फल
नेपाल सीमा पर स्थित मजिरकांडा गांव में माल्टा, नींबू, संतरा, गेहूं, कटहल, गोभी, मटर, केले, मिर्च, लौकी, कद्दू, टमाटर, अदरक आदि काफी मात्रा में होता है। चौकीदार तैनात होने से फलों और सब्जियों को नुकसान से बचाया जा सकेगा। इस पहल से ग्रामीणों की आमदनी भी बढ़ेगी। संवाद

ग्रामीण क्षेत्रों में बंदरों की समस्या बढ़ रही है। ग्रामीण लगातार इसकी शिकायत कर रहे हैं। शासन स्तर पर भी इस मामले को उठाया है जिसके बाद जिला मुख्यालय के चंडाक क्षेत्र में बंदरबाड़ा बनाने की कवायद की जा रही है। इसके लिए जमीन का चयन हो चुका है। बंदरबाड़ा जल्द से जल्द तैयार किया जाएगा। बाड़े में जिले भर से बंदर लाए जाने के बाद एनिमल बर्थ कंट्रोल तकनीक का उपयोग कर बंदरों की आबादी को नियंत्रित करने के प्रयास किए जाएंगे। बिशन सिंह चुफाल, विधायक, डीडीहाट