चम्पावत में हुआ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना मंच की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन, तीलू रौतेली पुस्कार मिलने पर सोनिया आर्या को किया गया सम्मानित
चम्पावत। चम्पावत में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना मंच की माह के अंतिम रविवार को होने वाली गोष्ठी 25 अगस्त को कूर्माचल एंगलो संस्कृत विद्यालय में हुई। गोष्ठी के दौरान साहित्यिक मंच से जुड़ी सोनिया आर्या को प्रतिष्ठित तीलू रौतेली पुस्कार मिलने पर मंच की ओर से सम्मानित किया गया।
सोनिया आर्या की अध्यक्षता और प्रकाश चंद्र जोशी शूल के संचालन में हुई गोष्ठी का आगाज साहित्यकार हिमांशु जोशी ने यूं किया— ‘क्या खोया है क्या पाया है, जीवन समझ नहीं पाया है। वह तुम हो प्रियतम मेरे, जिसका साया मन पर छाया है…। बबीता जोशी ने ये पंक्तियां पेश कीं- कुहासा घना ही सही छूट जायेगा, अंधेरा बहुत देर से सही सुनो, कुछ देर में पौ फट जायेगी, सोनिया आर्या ने कहा- पहाड़ों की परंपरा एक रीत का नाम है भिटौला, राज्य आंदोलनकारी भूपेंद्र देव ‘ताऊजी’ म्यारा विधाता रेसो कि रचि दिया, म्यारा स्वीना का पंख लेले तोड़ि दियो, पुष्कर सिंह बोहरा ‘नारी के श्रृंगार में सबसे पावन है सिंदूर, सिंदूर भरी मांग की शोभा होती है भरपूर, ग्राम विकास विभाग से सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी सुभाष जोशी ने सुख और मन के अंतर्सबंधों को यूं कहा-‘उपकार, उपासना और तीरथ, संभव तू ही सिखाता है, तू ही सुख का सागर रे मन. तू ही मोक्ष प्रदाता है।
गौरव बंसल ने प्रकृति और पर्यावरण के बिगड़ते मिजाज पर ये कविता पेश की- बोल मानव क्या देखा, प्रकृति का प्रलय देखा, गंगा का रौद्र रूपं देखा या उसमें वहता जीव देखा, कमलेश ने गुरु की खूबियों को कविता के साथ यूं कहा- गुरु है जिसका भाव समर्पण, गुरु का जैक समाज का दर्पण, गुरु वही जो भेद मिटा दे. गुरु जो कर दे आभा अर्पण, शिक्षक नवीन चंद्र पंत ने ये कहा-क्यों चुप रहे हिमाल, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ. तिलक राज जोशी ने कुछ यूं कहा- विठा हमारे भाग्य में यदि, तिल हो या मधुरतम हो, भमर वस मकरंद पीकर, मचिर मधु पीकर क्या करू मैं? जगदीश संभल – कतिपय मुश्किल हो जाता है, खुद के मन को समझना भी, जनकवि प्रकाश जोशी शूल ने कृष्ण जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर श्रीकृष्ण की विशेषताओं को यूं बयां किया- माखन के नितचोर कन्हैया, तुझको मेरा प्रणाम, गोपियों के चितचौर कन्हैया, तुझको मेरा प्रणाम।