उत्तराखण्ड

उत्तराखंड : आयोग की परीक्षा में पहली बार स्थानीय मुहावरे व कहावतें भी हुईं शामिल

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अमित जोशी बिट्टू (चम्पावत खबर)
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में पहली बार कुमाऊंनी और गढ़वाली भाषा के मुहावरों को भी शामिल किया गया है। प्रश्न पत्र में स्थानीय बोलचाल के कुछ शब्द भी शामिल किया गया है। प्रश्न पत्र में स्थानीय बोलचाल में प्रयुक्त होने वाले शब्द देख परीक्षार्थी भी हैरान नजर आए। हालांकि पहाड़ के परीक्षार्थियों को ऐसे प्रश्नों के पूछे जाने से मदद मिलने का दावा है।

रविवार को उत्तराखंड के चार जनपदों अल्मोड़ा, देहरादून, नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल में सचिवालय सुरक्षा संवर्ग की लिखित परीक्षा आयोजित हुई। इसके लिए आयोग ने 62 परीक्षा केंद्र बनाए थे। हालांकि 40% परीक्षार्थी भी लिखित परीक्षा में शामिल नहीं हुए। खास बात यह रही कि 20 में से पांच प्रश्नों में कुमाऊनी और गढ़वाली भाषा के आम बोलचाल में प्रयुक्त किए जाने वाले शब्दों को भी शामिल किया गया था। यह पहली बार था कि आयोग की परीक्षा में कुमाऊनी और गढ़वाली भाषा का प्रयोग भी किया है। कुमाऊनी और गढ़वाली भाषा में पूछे गए प्रश्नों में , संटा किसे कहते हैं ?, ‘फ्यूलि’ क्या है ?’पोथि न पातड़ि, नाम नरैण पंडित’ कहावत का का सही अर्थ क्या है? ‘किरमोई पाँख जामण’ मुहावरे का सही अर्थ है?
यूकेएसएसएससी के परीक्षा नियंत्रक हिमांशु कफल्टिया ने बताया कि पहली बार कुमाऊनी गढ़वाली भाषा में प्रश्न पूछे गए हैं। इससे निश्चित तौर पर पहाड़ के परीक्षार्थियों को फायदा मिलेगा। इससे युवाओं की पुरानी संस्कृति को जानने पहचानने की क्षमता बढ़ सकेगी।