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उत्तराखंड: पीएम मोदी करेंगे देवप्रयाग के रघुनाथ कीर्ति परिसर का वर्चुअली लोकार्पण, संस्कृत शिक्षा में है अग्रणी

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देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 20 फरवरी को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग का वर्चुअली उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी परिसर में मौजूद रहेंगे। करीब 126 करोड़ रुपए की लागत से देवप्रयाग में रघुनाथ कीर्ति परिसर की स्थापना की गई है। इस विश्वविद्यालय में देशभर से छात्र भारतीय संस्कृति, वेद, पुराण और धर्म की शिक्षा लेने आते हैं। वहीं, उद्घाटन कार्यक्रम में राज्यपाल गुरमीत सिंह के भी पहुंचने की उम्मीद है।

उत्तराखंड परंपरागत विद्याओं के लिए देश विदेश में जाना जाता है। वेद, ज्योतिष, व्याकरण, संस्कृत के प्रचार प्रसार में उत्तराखंड वासियों का अहम योगदान रहा है। इन विद्याओं को आम जनता तक ले जाने के मकसद से साल 1908 में एक महाविद्यालय की स्थापना देवप्रयाग स्थित नृसिंहाचल में हुई थी। जहां अध्ययन और अध्यापन करने वाले विद्वानों ने लाहौर, इलाहाबाद, आगरा, काशी जैसे स्थानों में प्रवास कर अध्यापन के काम किए। वहीं, साल 2016 में भारत सरकार ने 108 साल पुराने रघुनाथ कीर्ति महाविद्यालय का अधिग्रहण किया, जो अभी केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के अभिन्न परिसर (रघुनाथ कीर्ति परिसर) के रूप में काम कर रहा है। सरकार ने 126 करोड़ रुपए की लागत से 8 छात्रावास, एक प्रशासनिक भवन, दो शैक्षिक भवन, एक अतिथि भवन का निर्माण कराया है। वर्तमान में सबसे ज्यादा संस्कृत के छात्र इसी रघुनाथ कीर्ति परिसर में हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक प्रो. पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने बताया कि 20 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परिसर का लोकार्पण करेंगे। जिसे लेकर परिसर प्रशासन ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की ओर से इस परिसर का उद्घाटन किया जाना संस्कृत जगत एवं उत्तराखंड के गौरव की बात है। उत्तम शैक्षिक वातावरण और सुविधाओं के कारण यह परिसर उत्तराखंड का सिरमौर बनने की ओर अग्रसर है।

श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (संसद के एक अधिनियम द्वारा पूर्व में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, मानित विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित), शिक्षा मंत्रालय, सरकार के तहत स्थापित किया गया। भारत की। नव स्थापित परिसर अब पांच विभागों (व्याकरण, ज्योतिष, साहित्य, वेद और न्याय) के साथ कार्य करता है और यह पूर्व महाविद्यालय के पहले निर्मित सीमित स्थान में चलता है, जिसमें प्राक शास्त्री, शास्त्री और आचार्य स्तर की विभिन्न कक्षाओं में लगभग सौ छात्र प्रवेश लेते हैं। यहां विभिन्न विषयों के पंद्रह पारंगत शिक्षकों द्वारा उन प्रतिभाशाली छात्रों को सभी विषयों की नियमित शिक्षा दी जा रही है। इसके अलावा, स्नातक (शास्त्री) स्तर तक पारंपरिक विषयों के साथ-साथ आधुनिक विषय जैसे हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास और कंप्यूटर विज्ञान आदि भी पढ़ाए जा रहे हैं। शिक्षा शास्त्री (बी.एड.) पाठ्यक्रम भी शुरू किया जाना है जो विशेष रूप से संस्कृत शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए है। समय-समय पर परिसर विभागवार राष्ट्रीय सेमिनार, कार्यशालाएं और विस्तार व्याख्यान आदि भी आयोजित करता है। इसके अलावा, परिसर आगामी वर्षों में विद्यावारिधि (पीएचडी) की डिग्री प्रदान करने के लिए अनुसंधान कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए प्रतिबद्ध है।