उत्तराखण्ड

उत्तराखंड : पुलिस के सिपाही ने अफसरों पर लगाया शोषण का आरोप, वीआरएस मांगा

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उत्तराखंड पुलिस के एक सिपाही के लेटर बम ने अधिकारियों में खलबली मचा दी है। मामला ऊधम सिंह नगर से जुड़ा बताया जा रहा है। शोषण के शिकार सिपाही ने एसएसपी को पत्र भेजकर स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) मांगी है। आरोप लगाया है कि विभाग में राजनीति हावी है। जिसकी पकड़ अच्छी है। उसे मनचाही पोस्टिंग दी जाती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को इंटरनेट मीडिया में एक पत्र वायरल हुआ है। यह पत्र ऊधम सिंह नगर के सिपाही मनोज कुमार के नाम से है। एसएसपी के नाम भेजे पत्र में लिखा है कि वह वर्ष 1998 बैच का सिपाही है। अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड पुलिस में निरंतर अपनी सेवाएं दे रहा है। 22 साल बीत जाने के बाद विभाग में उसे कोई भी विभागीय पदोन्नति व प्रमोशन नहीं दिया गया है। उसका शोषण किया जा रहा है। बीते चार साल से वह लगातार रात्रि ड्यूटी कर रहा है। सिपाही के नाम से जारी पत्र में लिखा है कि वह पुलिस विभाग से काफी परेशान व तंग का चुका है। यह विभाग छोटे कर्मचारियों का शोषण कर रहा है। जिन लोगों की राजनीति पकड़ है वह लोग मनचाही पोस्टिंग पाते हैं। जिनकी कोई ताकत नहीं है, वह लोग वहीं हैं। इन्हीं कारणों से वह पुलिस विभाग से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति चाह रहा है। उत्तराखंड पुलिस में उत्पीड़न से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगने के लेटर बम से अधिकारी सन्न ही नहीं हैरान भी हैं। विभाग के कुछ अधिकारी व कर्मचारी सिपाही के बचाव में आकर अधिकारियों की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं

अनुशासित अशोक की मजबूरी रही होगी
यह पत्र सिपाही अशोक कुमार का ही है इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है, मगर पत्र के अंत में सिपाही का नाम है। बकायदा उसमें बैच नंबर दर्ज हुआ है। अगर पत्र सिपाही ने लिखा है तो वह जरूर अधिकारियों का शोषित रहा होगा। इतनी लंबी सेवा होने पर पहले उसने कोई ऐसा कृत्य नहीं किया। जिससे पुलिस की छवि पर आंच आई। इंटरनेट मीडिया में पुलिस के जवान ही चर्चा कर रहे हैं कि जरूर अशोक की मजबूरी रही होगी।

रात में किस अधिकारी ने दिखाया रौब
रात की ड्यूटी में मुस्तैद रहने वाले सिपाही की नाराजगी की एक ओर वजह मानी जा रही है। सूत्रों के अनुसार एक-दो दिन पहले जब सिपाही रात्रि ड्यूटी कर लौट रहा था। उस बीच उसका एक अधिकारी से सामना हो गया। अधिकारी ने उसकी ड्यूटी की तारीफ करने के बजाय लताड़ लगा दी। इससे वह काफी आहत हुआ। उसने यह बात अपने कुछ साथियों को भी बताई।

अटैचमेंट पर अधिकारियों की जी हजूरी कर रहे सिपाही
सिपाही की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को लेकर कई तरह के कयास लग रहे हैं। विभाग में हमेशा अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है। कर्मचारी और अधिकारी इसका पालन भी करते हैं। विभाग की छवि खराब न हो, इसलिए अधिकांश जवान मुंह को सीलकर रख लेते हैं। सिपाही ने पत्र लिखा है तो यह अधिकारियों के लिए सोचने का विषय है। यह बात किसी से नहीं छिपी है कि अटैचमेंट पर अधिकारियों ने अपने कार्यालय में ही दर्जनों सिपाही को रखा है।