उत्तराखण्डजनपद चम्पावतनवीनतम

भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के लिए चारागाह बना ‘उत्तराखंड राज्य’

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राज्य गठन के 21 साल बाद भी आम जनता अपने को ठगा महसूस कर रही है, उसके सपने चकनाचूर हो गए है

जो नेता ग्राम प्रधान का चुनाव तक नही जीत पाते थे। वह कैबिनेट मंत्री बने है और मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं। अफसरों का ही ऐसा ही हाल है। यूपी के जमाने के नायब तहसीलदार आज एडीएम हो गए हैं और कलक्टर की कुर्सी उन्हें सेवानिवृत तक मिल ही जानी है। परंतु आम लोगों के लिए न तो रोजगार नीति बनी है न ही शिक्षानिति, स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बुरा है। सरकारी अस्पताल रेफर सेंटर बने है तो प्राईवेट में ईलाज इतना महंगा है कि घरकुड़ि बिक जा रही है। पलायन रोकने के ठोस उपाय दिखते नहीं। आपदा का दंश झेल रहे राज्य में लोगों को समुचित मुहावजा देने के मानकों में व्यापक सुधार की जरुरत है। माफियातंत्र अब सत्ता ही नहीं चला रहा बल्कि सत्ता में शामिल होकर पहाड़ के स्वाभिमान और ईमानदारी पर चोट दे रहा है। धन-बल के जरिए सत्ता पर काबिज होने की कोशिश से ईमानदार और संघर्षशील नेतृत्वकारी आगे नहीं आ पा रहे हैं, जो इस राज्य को और गर्त में धकेल रहा है। ये सब परिस्थितियां स्वाभिमानी उत्तराखंड के माथे पर कलंक से कम नहीं हैं। राज्य के लिए बलिदान देने वालों की आत्मा रो रही है और संघर्ष करने वाले लोग हताश और निराश हैं।

दिनेश चंद्र पांडेय
अचिंहित राज्य आंदोलनकारी
चम्पावत उत्तराखंड