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एसएसबी के गुरिल्लों के सत्यापन का कार्य हुआ शुरू, चम्पावत जिले में हैं 750 गुरिल्ले

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लोहाघाट। एसएसबी के गुरिल्लों का लंबे समय से किया जा रहा संघर्ष आखिरकार अपना रंग दिखाने लगा है। गुरिल्लों द्वारा उन्हें स्थाई रोजगार एवं उम्रदराज लोगों को पेंशन सुविधा दिए जाने की मांग को लेकर उत्तराखंड में शुरू किया गया यह आंदोलन सर्वाधिक दिनों तक चला। चम्पावत जिले में 750 गुरिल्ले हैं। जिनमें से लगभग 50 की मृत्यु हो चुकी है। जिले में गुरिल्लों के आंदोलन की ज्वाला ललित मोहन बगौली के नेतृत्व में लगातार जलती आ रही है। लगातार संघर्ष के चलते बगौली दिल्ली की तिहाड़ व सेंट्रल जेल में बंद रहे तथा उन्होंने इस मांग को लेकर हरिद्वार से बड़ाहोती तक 610 किलोमीटर की लंबी पैदल यात्रा का भी नेतृत्व किया।
आंदोलन के दौरान बगौली पुलिस बल के प्रहार से जख्मी होकर जीवन भर के लिए अपंग भी हो गए हैं। हालांकि 2015 में एसएसबी संगठन की ओर से गुरिल्लों का सत्यापन किया गया था। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अंतिम रूप से पुलिस द्वारा पुनः सत्यापन कराया जा रहा है। जिसमें 15 जनवरी तक केंद्र सरकार तक अंतिम रिपोर्ट पहुंचनी है। चम्पावत जिले में आज सत्यापन का कार्य तेजी से शुरू हो गया है ।जिले के चम्पावत कोतवाली के अलावा टनकपुर लोहाघाट में सत्यापन का कार्य किया जा रहा है। हालांकि यह कार्य पहले शुरू होना था, लेकिन छात्र संघ चुनाव के चलते इसमें देरी हुई है। चुनाव निपटाने के बाद पुलिस तंत्र इस कार्य में जुट गया है। पहले दिन जिले में लगभग 200 लोगों का सत्यापन किया गया है। इस कार्य में स्थानीय अभिसूचना इकाई के लोगों के अलावा ग्राम प्रधान भी अपना पूरा सहयोग कर रहे हैं। जिले के तीनों ही पुलिस स्टेशनों में सहयोग एवं समन्वय स्थापित कर रहे संगठन के अध्यक्ष बगौली के अनुसार यदि इसी प्रकार सत्यापन कार्य जारी रहा तो इस माह के अंत तक यह कार्य पूरा हो जाएगा। संगठन की तीन सूत्री मांग रही है कि 45 वर्ष की आयु तक के गुरिल्लों को सरकारी नौकरी, इससे ऊपर की आयु पार कर चुके गुरिल्लों को पेंशन तथा मृतक के परिवार को एकमुश्त आर्थिक सहायता दी जाए। चम्पावत जिले में 150 ऐसे गुरिल्ला हैं जिनकी आयु 42 से 45 वर्ष के बीच है। जबकि शेष लोग नियमित सेवा के लिए ओवरएज हो गए हैं तथा वह पेंशन पाने के हकदार होंगे।