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गुलदार की दहशत से निजात दिलाए जाने की मांग को लेकर सूखीढांग मेें ग्रामीणों ने किया रेंजर का घेराव, गुलदार को ट्रैंकुलाइज किए जाने की मिली अनुमति

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चम्पावत/टनकपुर। सूखीढांग क्षेत्र के ग्रामीणों व एनएच पर दोपहिया वाहनों में चलने वाले लोगों के लिए दहशत का पर्याय बने गुलदार से निजात दिलाए जाने की मांग को लेकर मंगलवार को ग्रामीणों ने सूखीढांग में वन क्षेत्राधिकारी गुलजार हुसैन का घेराव किया। वहीं डीएफओ की मांग पर मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक ने गुलदार को ट्रैंकुलाइज किए जाने की अनुमति दे दी है।

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मंगलवार को सूखीढांग क्षेत्र में पहुंचे वन क्षेत्राधिकारी गुलजार हुसैन को ग्रामीणों ने घेर लिया। ग्रामीणों ने कहा कि गुलदार के लगातार हो रहे हमलों से वे दहशत के बीच जीने को मजबूर हैं। गुलदार ने जहां पिछले दिनों एक महिला को मौत के घाट उतार दिया था, वहीं एनएच पर दोपहिया वाहनों से चलने वाले तमाम लोगों पर हमला कर गंभीर रूप से घायल कर चुका है। खूंखार हो चुके गुलदार से निजात दिलाए जाने की मांग ग्रामीण लंबे समय से उठा रहे हैं, लेकिन वन विभाग अब तक प्रभावी कार्यवाही नहीं कर सका है। इससे लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है। सभी ने गुलदार को नरभक्षी घोषित कर पकड़ने या फिर मारने कार्यवाही किए जाने की मांग की। इस दौरान उन्हें ज्ञापन भी सौंपा गया। घेराव व प्रदर्शन करने वालों में क्षेत्र के तमाम जनप्रतिनिधि भी शामिल रहे।

उधर, जिलाधिकारी नवनीत पांडे के निर्देशानुसार प्रभागीय वनाधिकारी आरसी कांडपाल ने गुलदार को ट्रैक्युलाईज करने की अनुमति हेतु विभाग को पत्र भेजा गया था। जिसके क्रम में प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव)/मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, उत्तराखंड धनंजय मोहन द्वारा गुलदार को ट्रैक्युलाईज करने की अनुमति प्रतिबंधों के साथ दे दी गई है। जो 01 माह तक वैध रहेगी और इस अवधि के उपरान्त स्वतः समाप्त हो जायेगी। यह जानकारी देते प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया है कि पूर्व में ही प्रभावित क्षेत्रों में पिंजरे लगाये गये तथा गुलदार की गतिविधियों की निगरानी हेतु कैमरा ट्रैप लगाये गये हैं, परन्तु गुलदार को पिंजरे में पकड़ा नहीं जा सका है। गुलदार प्रभावित क्षेत्रों में वन क्षेत्राधिकारी के निर्देशन में लगातार गश्त की जा रही है एवं लोगों को गुलदार से बचाव के सम्बन्ध में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में लगाये गये कैमरा ट्रैप का प्रतिदिन निरीक्षण किया जा रहा है, परंतु गुलदार पिंजरे के समीप जा रहा है, परन्तु पिंजरे के अन्दर नहीं जा रहा है। उक्त के दृष्टिगत प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा मानव वन्यजीव संघर्ष की किसी घटना को रोकने हेतु गुलदार को ट्रैक्युलाईज करने की अनुमति चाही गयी थी।

गुलदार से सुरक्षा को लेकर बूम व दोगाड़ी रेंज की टीम दोपहिया वाहन चालको को झुण्ड में या बड़ी गाडियों के साथ भेजते हुए।
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