अल्मोड़ानवीनतम

चेतावनी : कार्बन उत्सर्जन कम नहीं हुआ तो 76 साल में 33 फीसदी पिघल जाएगी हिमालय की बर्फ

ख़बर शेयर करें -

उत्तराखंड सेवा निधि पर्यावरण शिक्षा संस्थान में आयोजित 11 वें बीडी पांडे स्मृति व्याख्यान में रखे विचार

अल्मोड़ा। योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष पद्मभूषण मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन चिंता का विषय बना हुआ है। जलवायु परिवर्तन से देश भी तपती गर्मी, कड़ाके की सर्दी, सूखा, बाढ़ सहित अन्य खतरों से गुजर रहा है। कार्बन उत्सर्जन इसकी प्रमुख वजह है। शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए 2070 का लक्ष्य रखा गया है, यह अच्छा कदम है लेकिन चुनौतीपूर्ण है। यदि कार्बन उत्सर्जन कम नहीं हुआ तो यह तय है कि 2100 तक हिमालय की बर्फ 33 फीसदी पिघल जाएगी, इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे।
अहलूवालिया उत्तराखंड सेवा निधि पर्यावरण शिक्षा संस्थान में आयोजित 11 वे बीडी पांडे स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे। योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करना ही पर्यावरण को सुरक्षित रखने का एकमात्र विकल्प है। कहा वैज्ञानिक साफ कर चुके हैं कि यदि कार्बन उत्सर्जन से हिमालयों की बर्फ तेजी से पिघल रही है। ऐसे में पूरा विश्व और बर्फ से ढके पहाड़ों के निकट रहने वाली आबादी प्रभावित होगी। समुद्र का जलस्तर बढ़ने से मानसून चक्र प्रभावित हो रहा है जो प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन रहा है। कहा कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सभी को गंभीरता से काम करने की जरूरत है। इस दौरान वर्ष 2021 में प्रकाशित पद्मभूषण स्व. बीडी पांडे की ‘इन द सर्विस ऑफ फ्री इंडिया’ पुस्तक का भी लोकार्पण भी किया। इस मौके पर सेवानिधि के निदेशक पद्मश्री ललित पांडे, इंदु कुमार पांडे, विधायक मनोज तिवारी, पूर्व पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत, पूर्व निदेशक डॉ. जेसी भट्ट सहित कई लोग मौजूद रहे।

नवीनीकरण ऊर्जा पर करना होगा काम, लगाना होगा कार्बन टैक्स
अल्मोड़ा। अहलूवालिया ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए नवीनीकरण ऊर्जा को बढ़ावा देना होगा। सौर ऊर्जा इसका बेहतर विकल्प है। यदि नहीं संभले तो मोहनजोदड़ों और हड़प्पा जैसी घटनाएं होंगी। कहा कार्बन टैक्स लगाकर हम उसके उत्सर्जन को कम कर सकते हैं। कार्बन उत्सर्जन करने वाले उपक्रमों पर यदि टैक्स लगाया जाएगा तो इससे मिलने वाले पैसों का उपयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जा सकता है।