लोहाघाट के डॉ.धीरेंद्र फर्त्याल शोध के लिए जाएंगे जर्मनी

Dr. Dhirendra Fartyal of Lohaghat will go to Germany for research
चम्पावत। जनपद के युवा वैज्ञानिक डॉ. धीरेंद्र फर्त्याल का चयन धान की उन्नत प्रजाति पर शोध करने के लिए जर्मनी की बहुप्रतिष्ठित मेरी क्यूरी रिसर्च फैलोशिप के लिए हुआ है। जहां वह मिट्टी में फॉस्फेट की कमी होने के बावजूद ज्यादा अनाज पैदा करने पर अपना शोध करेंगे। उनके चयन पर क्षेत्र के लोगों ने खुशी जताई।

मूलरूप से बिशुंग लोहाघाट निवासी डॉ. धीरेंद्र ने प्रारंभिक शिक्षा लोहाघाट से प्राप्त कर जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज पौड़ी गढ़वाल से एमटेक बायोटेक्नोलॉजी में गोल्ड मेडल हासिल किया। उसके बाद उन्हें डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, भारत सरकार की ओर से पीएचडी करने के लिए इंस्पॉयर फैलोशिप प्रदान की गयी। इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी, नई दिल्ली से पीएचडी करने के दौरान उन्हें ब्रिटिश कॉउंसिल, यूनाइटेड किंगडम और डीएसटी, इंडिया ने संयुक्त रूप से ब्रिटेन की एबेरिस्टविथ यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए न्यूटन-भाभा फैलोशिप के लिए चयनित किया।
इसके बाद उनका चयन साइंस एंड इंजीनियरिंग रिक्रूटमेंट बोर्ड, भारत सरकार की ओर से नेशनल पोस्ट डॉक्टोरल फैलोशिप के लिए किया गया। जिस दौरान उन्होंने अपना रिसर्च कार्य धान पर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च, नई दिल्ली में पूरा किया। अगले रिसर्च कार्य के लिए उनका चयन इजराइल सरकार ने वोलकानी रिसर्च सेंटर में विजिटिंग साइंटिस्ट के रूप में किया। जहां उनका शोध कार्य टमाटर की उन्नत वैरायटी बनाने का था, जो उच्च तापमान में भी ज्यादा पैदावार दे सके। अब तक डॉ. फर्त्याल के बीस से ज्यादा शोध पत्र नेशनल और इंटरनेशनल प्रतिष्ठित साइंस जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं।
वह अपना अनुसंधान कार्य जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ बॉन में प्रोफेसर गेब्रियल स्काफ के निर्देशन में करेंगे। वहां वह जीनोम इंजीनियरिंग और जीन एडिटिंग का प्रयोग करके धान की उन्नत वैरायटी बनाने पर शोध करेंगे जो मिट्टी में फॉस्फेट की कमी होने के बावजूद ज्यादा अनाज पैदा कर सके। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाली सबसे प्रतिष्ठित फैलोशिप में से एक यह फैलोशिप पूरे विश्व से कुछ युवा वैज्ञानिकों का चयन करती है और उन्हें यूरोप की एडवांस्ड यूनिवर्सिटी या रिसर्च इंस्टीट्यूट में काम करने का मौका देती है।
