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हरक सिंह रावत की कांग्रेस वापसी से कोटद्वार सहित इन पांच विधानसभा सीटों पर पड़ेगा असर

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कांग्रेस हरक सिंह रावत और उनकी टीम का पांच विधानसभा क्षेत्रों में लाभ लेने की कोशिश करेगी। ये वो सीटें हैं जहां से हरक सिंह विधायक रहे हैं और जहां उनका अपना आधार है। हरक कोटद्वार से विधायक हैं। कोटद्वार में उनकी अच्छी खासी टीम है। इसके साथ ही लैंसडौन सीट से हरक दो बार विधायक रहे हैं।यहां उनकी बहू अनुकृति गुसाईं सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में वहां लोगों के साथ जुड़ी हैं। श्रीनगर, रुद्रप्रयाग और चौबट्टाखाल में भी हरक का अपना व्यक्तिगत प्रभाव माना जाता है। यदि देहरादून में देखा जाए तो सहसपुर सीट पर भी हरक की गतिविधियां लंबे समय से हैं।

गणेश परिक्रमा से हरक केस पर पड़ा फर्क!
भाजपा से निष्कासित होने के बाद संकट में फंसे डॉ. हरक सिंह रावत के लिए सबसे बड़े मददगार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल बने। हरक के पुराने मित्र गोदियाल ने अपने पुराने मित्र को मुसीबत से उबारने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। सूत्रों के अनुसार भाजपा की कार्रवाई के बाद अधर में फंसे हरक को कांग्रेस का ही सहारा थ। लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत वर्ष 2016 की बगावत के दंश की वजह से हरक को फूटी आंख भी देखना पसंद नहीं करते थे। हालांकि हरक कैंप पिछले काफी समय से नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के संपर्क में था, लेकिन भाजपा द्वारा निष्कासित कर दिए जाने के बाद हरक के लिए राजनीतक हालात 360 डिग्री पर घूम गए थे। कांग्रेस में एंट्री पर रोक न लगे, इसके लिए हरक कैंप ने हरीश रावत कैंप की शरण लेना ज्यादा बेहतर माना। सूत्रों के अनुयार हरीश रावत हरक की एंट्री पर पहले मिनट से ही वीटो लगाए हुए थे।
लेकिन धीरे धीरे हरक के सुनियोजित तरीके से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने, वर्ष 2016 की बगावत पर खेद जताने से मामला कुछ नरम पड़ने लगा। इसे भी ‘गणेश परिक्रमा’ का असर माना जा रहा था। सूत्रों के अनुसार, गणेश गोदियाल कैंप ने हरक की पैरवी इसी आधार पर की कि वो कांग्रेस की निस्वार्थ भाव से सेवा करना चाहते हैं। इसलिए एक बार को विचार किया जा सकता है। दूसरा, पांच साल तक भाजपा में मंत्री रहे व्यक्ति का भाजपा के खिलाफ प्रचार में अच्छा उपयोग होगा। गोदियाल तो पक्ष में थे ही, प्रीतम को भी कोई आपत्ति नहीं थी। पांच दिनों से चल रही पैरवी का नतीजा यह हुआ कि आखिरकार कांग्रेस में शीर्ष स्तर पर हरक की घरवापसी का रास्ता खुल गया। हालांकि हरीश की नाराजगी का सम्मान करते हुए हरक के साथ कुछ शर्ते भी जोड़ी गई हैं। सूत्रों के अनुसार, अब तक के फार्मूले के अनुसार भविष्य में किसी भी प्रकार की आशंका से बचने हरक का इस्तेमाल चुनाव लड़ने के बजाए चुनाव लड़वाने पर किया जाएगा। उनकी बहू अनुकृति को जरूर लैंसडौन सीट से टिकट देने पर सहमति बन चुकी है। एक वरिष्ठ नेता के अनुसार यह प्रारंभिक फार्मूला है। आगे हरक की उपयोगिता के अनुसार हाईकमान हरक को कुछ और भी जिम्मेदारी दे सकता है।

नवीन सिंह देउपा

नवीन सिंह देउपा सम्पादक चम्पावत खबर प्रधान कार्यालय :- देउपा स्टेट, चम्पावत, उत्तराखंड