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मसूरी गोलीकांड : 29वीं बरसी पर सीएम धामी ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि, दर्दनाक घटना को याद कर छलका लोगों का दर्द

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मसूरी में उत्तराखंड आंदोलन की 29वीं वर्षगांठ पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भाग लिया। शहीदों को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि शहीदों के सपनों का उत्तराखंड बनाने की दिशा में ही काम करना हमारा दायित्व है। ये राज्य आंदोलनकारियों की देन है। मुख्यमंत्री धामी ने शहीद राज्य आंदोलनकारियों के परिजनों को शॉल पहनाकर सम्मानित किया।

आन्दोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मसूरी में शहीद राज्य आन्दोलनकारियों के परिवारजनों को सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य आन्दोनकारियों ने जिस उद्देश्य से अलग राज्य की मांग की थी, उसके अनुरूप ही राज्य को आगे बढ़ाने के लिए सरकार निरन्तर कार्य कर रही है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि मसूरी शहीद स्थल पर शेड का निर्माण किया जायेगा।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य आन्दोलनकारियों के चिन्हित प्रमाण पत्र बनाने के लिए 06 माह का अतिरिक्त समय दिया गया था। बहुत जिलों में इस पर कार्य हुआ। इसके लिए ऐसी व्यवस्था की गई है कि इसका दुबारा आंकलन कर व्यवस्था को आगे बढ़ाया जाय। जनपद देहरादून में चिन्ह्ति सभी 4164 राज्य आन्दोलनकारियों को पहचान पत्र निर्गत किये गये है। राज्य आन्दोलनकारियों को उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क परिवहन सुविधा प्रदान किये जाने की व्यवस्था की गयी है। राज्य आन्दोलनकारियों के अधिकतम दो बच्चों को राजकीय विद्यालयों और महाविद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा सुविधा प्रदान की गयी है। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारियों के आश्रितों को पेंशन सुविधा प्रदान की गई है। शहीद आन्दोलनकारी के पिता को और पिता के जीवित न होने पर माता को और आश्रित को प्रतिमाह पंेशन की सुविधा प्रदान की गयी है। राज्य आन्दोलन के दौरान 172 घायल राज्य आन्दोलनकारियों को 06 हजार रूपये प्रतिमाह तथा 2414 सक्रिय राज्य आन्दोलनकारियों को 4500 रूपये प्रतिमाह पेंशन प्रदान की जा रही है। 06 घायल एवं 26 सक्रिय राज्य आन्दोलनकारियों के आश्रितों को भी प्रतिमाह पेंशन प्रदान की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 02 सितम्बर 1994 में मसूरी गोलीकांड की घटना हमेशा हमारे स्मरण में रहेगी। पुलिस की तानाशाही एवं हटधर्मिता को सबने देखा, जो उस समय की सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से करवाया। इस गोलीकाण्ड में हमारे 06 आन्दोलनकारी शहीद हो गये और दर्जनों घायल हो गये। उत्तराखण्ड राज्य निर्माण में हमारी मातृशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही। राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों को पूरा करने के लिए हम सबको प्रदेश के विकास में मिलकर योगदान देना होगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों एवं सड़कों का नाम संबंधित क्षेत्रों के शहीद राज्य आन्दोलनकारियों के नाम पर करने की दिशा में सरकार लगातार कार्य कर रही है।

इस अवसर पर केन्द्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट, पूर्व विधायक श्री जोत सिंह गुनसोला, मसूरी नगर पालिका परिषद् के अध्यक्ष श्री अनुज गुप्ता, मसूरी नगर पालिका परिषद् के पूर्व अध्यक्ष श्री मन्नू मल, श्री सिद्धार्थ अग्रवाल, श्री मोहन पेटवाल आदि मौजूद थे। गौरतलब है कि 29 साल पहले दो सितंबर 1994 को हुए इस घटना में पुलिस की गोली से छह राज्य आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। इस दर्दनाक घटना को याद करके एक बार फिर आंदोलनकारियों और शहीदों के परिजनों का दर्द छलक उठा।

मुद्दों पर ठोस पहल करनी चाहिए
उस दिन की घटना को याद करते हुए शहीद मदन मोहन ममगाईं की पत्नी शांति ममगाईं ने बताया, दो सितंबर 1994 को उनके बड़े बेटे मंजुल ममगाईं का जन्मदिन था, लेकिन उनके पति ने उनसे कहा कि झूलाघर के पास चल रहे राज्य निर्माण आंदोलन में शामिल होने जा रहे हैं, वहां से लौटकर जन्मदिन मनाएंगे, लेकिन जानकारी मिली कि आंदोलन स्थल पर पुलिस ने गोली चला दी। इसमें मदन मोहन ममगाईं शहीद हो गए। शांति ममगाईं ने कहा, उनके पति और अन्य आंदोलनकारियों ने राज्य की मांग को लेकर शहादत दी। राज्य बना भी, लेकिन जिन अन्य मुद्दों को आंदोलन में उठाया गया था, उनका समाधान आज तक नहीं हो सका। पहाड़ से लगातार पलायन जारी है, बेरोजगारी बढ़ रही है, बाहर के लोग प्रदेश में जमीनें खरीद रहे हैं। इसके कारण भविष्य में उत्तराखंड के लोगों की पहचान खतरे में पड़ जाएगी। शांति ने आगे कहा, सरकार को राज्य के जनहित के मुद्दों पर ठोस पहल करनी चाहिए। वहीं, गोलीकांड में शहीद राय सिंह बंगारी के बेटे रविराज बंगारी ने बताया कि 29 साल पहले आज के दिन हमारे परिवार को जो दर्द मिला, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। रविराज ने कहा, राज्य निर्माण के लिए मेरे पिता ने प्राणों का बलिदान दिया। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम राज्य की उन्नति के लिए मिलकर काम करें।