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अंग्रेजी हुकूमत के दिए ‘शून्य’ के पैमाने से नैनीझील आजाद, जानें क्या है शून्य जल स्तर की कहानी…

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नैनीताल। नैनीझील को अंग्रेजों के दिए एक ऐसे शून्य से निजात मिलने जा रही है, जो असल में कभी था ही नहीं। झील को देश आजाद होने के पूरे 78 साल बाद यह आजादी मिल रही है। झील के जलस्तर की गुलामी का यह जीरो अंग्रेजों ने झील की उस निश्चित ऊंचाई के बाद ईजाद किया, जहां पर पानी का स्तर शून्य नहीं था। सिंचाई विभाग ने अब झील का जलस्तर मापने के पैमाने में बदलाव करते हुए असली जलस्तर से साथ बताने का फैसला किया है, जिससे …झील का जलस्तर शून्य… जैसी कोई बात कहीं न फैले।

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नैनीझील में कम से कम 77 फीट यानी 23 मीटर पानी रहता है। इसे गेज कहा जाता है। अंग्रेजी हुकूमत ने मौजूदा सतह की इस ऊंचाई यानी 77 फीट को शून्य मानते हुए, इसके बाद पानी की निकासी के लिए नियम तय किए। मॉल रोड निर्माण के लिए झील के किनारे एक किमी. की परिधि में करीब 12 फीट ऊंची सुरक्षा दीवार बनाई। 77 फीट से ऊपर इसी दीवार की ऊंचाई में पानी का जलस्तर मापा जाता है। ब्रिटिश कार्यकाल में 77 फीट पानी के जलस्तर को ही शून्य नामकरण दिया था। जलस्तर इससे नीचे जाने पर उसे माइनस में मापा जाता था। यानी 75 फीट का अर्थ हुआ माइनस टू जलस्तर। अब झील का जलस्तर शून्य (77 फीट) होने पर सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से देश भर में इसका गलत संदेश जाता था। इसी को ध्यान में रखकर यह बदलाव किया जा रहा है।

कुमाऊं आयुक्त के निर्देश पर अब झील के पूरे जलस्तर का रिकाॅर्ड रखा जा रहा है। रिकॉर्ड में अब 77 फीट के बाद जितना जलस्तर कम या ज्यादा होगा, वह बताया जाएगा। जैसे कि मंगलवार को झील का जलस्तर गेज से (77 फीट) ऊपर तीन फीट एक इंच था, मतलब झील का जलस्तर 80 फीट एक इंच रहा। अब जलस्तर 77 फीट रहेगा, तो इसे शून्य नहीं 77 फीट ही बताया जाएगा। इसके साथ ही सिंचाई विभाग अब नैनीझील के पूरे जलस्तर का हिसाब रखेगा। -बृजेंद्र कुमार, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग

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