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पेयजल किल्लत का सामना करने को विवश हैं सूखीढांग के लोग, ग्रामीणों ने दी चेतावनी

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चम्पावत। जल संस्थान की लापरवाही के चलते टनकपुर-चम्पावत एनएच पर पड़ने वाले सूखीढांग कस्बे में लोगों को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र के नलों में तीन दिनों से पानी नहीं आ रहा है। इस वजह से होली के बाद अपने गंतव्य स्थानों को आवागमन कर रहे राहगीरों को भी सूखीढांग में पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि कल तक पेयजल आपूर्ति सुचारू नहीं हुई तो मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय टनकपुर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

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आजादी के आंदोलन में सात स्वतंत्रता सेनानी देने वाले सूखीढांग क्षेत्र के लोग आजादी के सात दशकों बाद भी शासन प्रशासन की उपेक्षा के कारण बूंद बूंद पानी को मोहताज हैं। जल जीवन मिशन योजना में तीन वर्ष पूर्व पम्प हाउस बनाकर घर घर नल तो लगा दिए हैं, मगर पम्प हाउस को अभी तक चालू करने की जरूरत नहीं समझी गयी है। ग्रामीणों ने बताया कि पाइप लाइन ओपन होने से आए दिन पानी की लाइन टूट जाती है। जिससे कभी भी पेयजल संकट उत्पन्न हो जाता है। कहा है कि विभाग में दशकों से कुंडली मार कर बैठे अधिकारी व कर्मचारी केवल योजनाओं के नाम से जमकर लूट खसोट कर रहे हैं। जनसरोकारों व जनसमस्याओं से किसी को मतलब नहीं है।

समाजसेवी शंकर जोशी ने बताया है कि सूखीढांग, बमनजौल, तिमला, बृजनगर, आमखरक समेत तोकों की दो हजार की आबादी भीषण पेयजल संकट झेल रही है। आरोप है कि मुख्यमंत्री के मॉडल जिले में अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं। जल जीवन मिशन योजना सफेद हाथी साबित हो रही हैं। स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र नब्बे वर्षीय दीवान सिंह राना का कहना है कि पेयजल उपलब्ध कराने में आज तक सरकारें नाकाम रही हैं। उत्तराखंड राज्य बनने से बहुत अपेक्षाएं थीं, जो नेताओं और अफसरशाही ने चौपट कर दी हैं। आम जनता को पीने का पानी तक न दे पा रही सरकार से अब कोई आशा नहीं है। तल्ला पाल विलौन संघर्ष समिति सूखीढांग के संयोजक पंडित शंकर जोशी ने बताया कि क्षेत्रवासियों में तीव्र आक्रोश व्याप्त है। पेयजल समस्या को दूर किए जाने की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर सकते हैं।

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