देखना होगा चम्पावत सीट पर भाजपा इतिहास बदलती है या पुराने फार्मूले पर करती है काम
चम्पावत सीट पर भाजपा का कोई भी प्रत्याशी दूसरी बार दावेदार नहीं बना। चाहे वह जीता हो या हारा हो। पिछले चार चुनावों में भाजपा हर बार नए चेहरे के साथ मैदान में उतरी। वहीं इस बार दावेदारों की फेहरिस्त भी भाजपा के इतिहास में सबसे लंबी है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि भाजपा चम्पावत सीट पर इतिहास बदलते हुए सीटिंग विधायक को ही टिकट देती है या फिर पुराने फार्मूले पर कार्य करते हुए नए चेहरे के साथ मैदान में उतरती है।
मालूम हो कि गत 22 दिसंबर को लोहाघाट और चम्पावत में हुई भाजपा की विजय संकल्प यात्रा में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री अरविंद पांडे ने जिले की दोनों विधानसभा सीटों से मौजूदा विधायकों को फिर से भाजपा का प्रत्याशी बनाने का सार्वजनिक एलान किया था, लेकिन 18 दिन बाद भाजपा पर्यवेक्षक कपकोट के विधायक बलवंत सिंह भौर्याल और बिंदेश गुप्ता की मौजूदगी में सात अन्य नेताओं ने इस सीट पर टिकट के लिए दावा पेश कर दिया। वर्ष 2017 के चुनाव में प्रदेश में तीसरी बड़ी जीत दर्ज करने के बावजूद विधायक कैलाश गहतोड़ी के सम्मुख ढेरों चुनौतियां हैं। सूत्र बताते हैं कि 17360 वोटों से जीती इस सीट पर भी भाजपा सीटिंग-गेटिंग के फार्मूले पर दुविधा में है।
दो बार महिला प्रत्याशी रहीं लेकिन इस बार किसी ने नहीं की दावेदारी
चम्पावत सीट से इस बार विधायक के अलावा सात अन्य नेताओं ने दावेदारी की है, लेकिन इन दावेदारों में एक भी महिला नेता नहीं है जबकि पिछले चार चुनावों में दो बार महिला नेताओं को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। चत्पावत सीट के विधायक को प्रदेश मंत्रिमंडल में सिर्फ एक बार प्रतिनिधित्व मिला और वह भी महिला नेता को। वर्ष 2007 में खंडूरी मंत्रिमंडल में चम्पावत की विधायक बीना महराना को महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री बनाया गया था।
चम्पावत विधानसभा सीट से विभिन्न चुनावों में भाजपा प्रत्याशी
2002 में हयात सिंह माहरा, 2007 में बीना महराना, 2012 में हेमा जोशी व 2017 में कैलाश गहतोड़ी।
सीटिंग-गेटिंग की राह में ये हैं अड़चनें
- चम्पावत विधानसभा सीट पर तीन नगर निकाय हैं। नवंबर 2018 में हुए अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हुआ। चम्पावत में कांग्रेस जीती। यहां भाजपा के प्रत्याशी सज्जन लाल वर्मा हारे। वहीं टनकपुर में भाजपा प्रत्याशी जिलाध्यक्ष दीपक पाठक और बनबसा नगर पंचायत में पार्टी प्रत्याशी विमला सजवान हार गईं। टनकपुर में निर्दलीय विपिन कुमार व बनबसा में रेनू अग्रवाल जीतीं। जिन्होंने बाद में भाजपा का दामन थाम लिया। वहीं पिछले साल नवंबर में विमला सजवान ने भाजपा छोड़ फिर से कांग्रेस ज्वाइन कर ली।
- चम्पावत विधानसभा सीट में एकमात्र ब्लॉक है चम्पावत। नवंबर 2019 को हुए ब्लॉक प्रमुख की इस प्रतिष्ठा की जंग में भी विधायक अपने प्रत्याशी को नहीं जीता पाए।
- ज्यादातर वक्त काशीपुर रहने और अपने निर्वाचन क्षेत्र चम्पावत में गैर मौजूदगी बड़ा मुद्दा बना। यहां तक कि विधायक से विकास का हिसाब मांगने के लिए आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता 30 अक्तूबर 2021 को काशीपुर पहुंचे थे। जिसके बाद भारी हंगामा मचा।
- कोरोना अवधि में अधिकांश वक्त निर्वाचन क्षेत्र से दूर रहना।
- विकास पर विराम के आरोप : जनवरी 2017 से बंद मंच उप तहसील का संचालन शुरू न करवा पाना, अप्रैल 2008 से शुरू चम्पावत जिला जेल भवन में 2.22 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद बीते पांच साल में बंद रहा काम। तल्लादेश, बनबसा के आईटीआई तीन साल से बंद।
भाजपा के इन सात नेताओं ने की है टिकट के लिए दावेदारी
- गोविंद सिंह सामंत : भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष, भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री। छात्र संघ अध्यक्ष से शुरू सियासी सफर में जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। अपना ब्लॉक प्रमुख बनवा कर ताकत दिखाई। पहाड़-मैदान दोनों जगह व्यापक जनाधार वाला युवा चेहरा।
- दीपक पाठक : भाजपा जिलाध्यक्ष एवं संघ पृष्ठभूमि के नेता। तेजतर्रार पाठक का पहाड़-मैदान वाली चंपावत सीट में अच्छा असर है।
- प्रकाश तिवारी : चम्पावत नगर पालिका के पहले अध्यक्ष रहे। व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष हैं। मां पूर्णागिरि धाम के पुजारी हैं। मिलनसार हैं।
- एडवोकेट शंकर पांडेय : पूर्व जिलाध्यक्ष और वर्तमान प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य। बेबाकी के साथ अच्छी छवि।
- शिवराज कठायत : पूर्व जिलाध्यक्ष और खंडूरी सरकार में दर्जा मंत्री रहे। सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार होने के साथ सादगी उनकी पहचान है।
- सुभाष बगौली : पूर्व जिलाध्यक्ष। दुग्ध संघ और मंडी समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं।
- मुकेश महराना : पूर्व जिला पंचायत सदस्य और मौजूदा बीडीसी सदस्य, ब्लॉक प्रमुख चुनाव में नजदीकी मुकाबले में जीत से दूर रहे, ग्रामीण क्षेत्र में मजबूत जनाधार।