आज भी कई जिलों में बारिश के आसार, चमोली में हिमस्खलन का खतरा बरकरार, आठ फीट बर्फ और -8 डिग्री तापमान, 11 घंटे के बचाव अभियान में एक मिनट भी नहीं रुके हिमवीर

देहरादून। प्रदेश के कई जिलों में शनिवार को हल्की से हल्की बारिश के आसार हैं। इसके बाद तीन और चार मार्च को मौसम खराब रहने की संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि शनिवार को देहरादून, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, नैनीताल और चंपावत में हल्की बारिश की संभावना है।
वहीं, 2500 मीटर व उससे अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में हल्की से मध्यम बर्फबारी हो सकती है। जबकि, तीन मार्च से मौसम में बदलाव आएगा। तीन मार्च को उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और बागेश्वर में कहीं-कहीं गर्जन के साथ बिजली चमकने की संभावना है। जबकि, दो मार्च को मौसम साफ रहने का अनुमान है।

चमोली में हिमस्खलन का खतरा बरकरार
रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान ने हिमस्खलन को लेकर अलर्ट जारी किया है। इसमें उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और बागेश्वर में 2400 मीटर से ऊंचाई वाले स्थानों पर हिमस्खलन होने की चेतावनी जारी की गई है। इसमें चमोली जिले को अत्यधिक असुरक्षित स्थिति में बताया गया है। रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और बागेश्वर, उत्तरकाशी को असुरक्षित बताया गया है।

रैणी आपदा की याद दिला गई माणा में हुई हिमस्खलन की घटना, गई थी 206 लोगों की जान
चमोली। माणा कैंप के समीप हुए हिमस्खलन ने रैणी आपदा की घटना याद दिला दी। सात फरवरी 2021 को ऋषिगंगा के मुहाने पर हिमस्खलन होने से रैणी घाटी में भारी तबाही हो गई थी। इस आपदा को चार साल बीत गए लेकिन आज भी रैणी और तपोवन क्षेत्र के लोगों में इस आपदा का खौफनाक मंजर जिंदा है।
सात फरवरी 2021 की सुबह करीब नौ बजे ऋषिगंगा के उद्गम स्थल में ग्लेशियर टूटने से बाढ़ आ गई थी। इससे नदी किनारे जितने भी लोग थे वे सब बाढ़ की चपेट में आ गए। इस आपदा में 206 लोगों की मौत हुई थी। आपदा में ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना बह गई थी जबकि एनटीपीसी की तपोवन जल विद्युत परियोजना तहस-नहस हो गई थी।
इसकी डैम साइट की सुरंग मलबे से भर गई और उसमें परियोजना में लगे 139 श्रमिकों की मौत हो गई थी। जबकि नदी किनारे काश्तकारी व अन्य काम के लिए गए कई ग्रामीणों की भी इसमें मौत हो गई थी। शुक्रवार को जब माणा में हिमस्खलन होने की सूचना आई तो रैणी क्षेत्र के लोगों की आंखों के सामने हिमस्खलन का वो मंजर तैरने लगा।
सुमना में भी हिमस्खलन से आठ लोगों की हुई थी मौत
23 अप्रैल 2021 में चीन सीमा क्षेत्र में सुमना-रिमखिम सड़क पर सुमना से करीब चार किमी की दूरी पर भारी हिमस्खलन होने से बीआरओ के मजदूरों के कैंप में आठ मजदूरों की मौत हो गई थी जबकि सेना और आईटीबीपी की ओर से 384 लोगों को बचा लिया गया था। उस समय भी भारी बर्फबारी के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा उत्पन्न गई थी। यहां भी मजदूर सीमा क्षेत्र में सड़क निर्माण कार्य में जुटे थे। मौसम खराब होने के कारण मजदूर अपने कैंप में ही थे।



आठ फीट बर्फ और -8 डिग्री तापमान, 11 घंटे के बचाव अभियान में एक मिनट भी नहीं रुके हिमवीर
आठ फीट बर्फ और लगातार होती भारी बर्फबारी, तापमान माइनस में… ऐसी विषम परिस्थितियों में सेना और आईटीबीपी के जवान हिमस्खलन में दबे मजदूरों को निकालने में दिनभर जुटे रहे। 11 घंटे से अधिक समय तक चले अभियान का परिणाम यह रहा कि देर शाम तक 32 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया। सेना और आईटीबीपी का यही जज्बा उन्हें हिमवीर बनाता है।
शुक्रवार को माणा गांव के पास हुए भारी हिमस्खलन की सूचना पर वहां तैनात सेना और आईटीबीपी के जवानों ने सुबह सात बजे ही रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया। क्षेत्र में सुबह से ही लगातार भारी बर्फबारी होती रही। पूरे क्षेत्र में सात से आठ फीट तक बर्फ जमी हुई है, लेकिन जवानों ने बिना रुके इस विषम परिस्थिति में रेस्क्यू अभियान जारी रखा। 11 घंटे तक सेना और आईटीबीपी के जवान बर्फ में दबे मजदूरों को निकालने में जुटे रहे। पूरा आपदा तंत्र इस आपदा से निपटने के लिए सेना और आईटीबीपी पर ही निर्भर रहा। बदरीनाथ हाईवे बर्फबारी के कारण बंद होने से आपदा प्रबंधन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम देर शाम तक वहां नहीं पहुंच पाई थी।
बृहस्पतिवार से इस पूरे क्षेत्र में भारी बर्फबारी हो रही है। ऐसे में शुक्रवार को जब यहां हिमस्खलन हुआ तो तापमान पहले से माइनस में था। दोपहर बाद भी बर्फबारी होने से तापमान में भी गिरावट होने लगी। बर्फबारी भी होती रही लेकिन जवानों ने रेस्क्यू अभियान को एक पल के लिए भी नहीं रोका। जवानों का हर एक कदम वहां फंसे लोगों में जीवन की आस जगाने वाला रहा। जब तक यहां अंधेरा नहीं हो गया जवान मजदूरों को निकालने में जुटे रहे।
