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लोहाघाट डायट के प्रवक्ता डॉ. गहतोड़ी के शोध प्रस्ताव को यूसर्क से मिली मंजूरी

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लोहाघाट/चम्पावत। जंगल की आग ने इस बार उत्तराखंड में भयंकर तबाही मचाई। पिछले कई वर्षों से देखने में आ रहा है कि वनाग्नि हर बार बड़ी तबाही लेकर आती है। जंगल की आग की विकरालता शासन प्रशासन के लिए लगतार चुनौती साबित हो रही है। अब इससे निपटने के लिए डाइट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) लोहाघाट की ओर से पहल की जा रही है। डायट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) लोहाघाट के प्रवक्ता डॉ. कमल गहतोड़ी ने इस दिशा में प्रयास किया है। उनके शोध प्रस्ताव FOREST FIRE AWERENESS & PREVENTION SYSTEM को यूसर्क (Uttarakhand Science Education and Research Cestre) ने हरी झंडी दे दी है। इस शोध प्रस्ताव को यूसर्क के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने स्कूटनी एवं प्रेजेंटेशन के आधार पर उपयुक्त मानते हुए वित्तीय स्वीकृति के लिए चयनित किया है।

शोध प्रस्ताव में डॉ. गहतोड़ी ने जिले एवं राज्य में वनारिन की वारदातों के प्रति जागरुकता के लिए शिक्षा विभाग तथा अन्य हितधारकों के सहयोग से FFPA (FOREST FIRE AWERENESS & PREVENTION SYSTEM) सिस्टम तैयार करने की पहल की है। दो वर्ष तक चलने वाले इस शोध कार्य के लिए फिलहाल यूसके से 18 लाख रुपये की धनराशि भी मंजूर हो चुकी है। डॉ गहतोड़ी को यूसर्क ने इस शोध के प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर नियुक्त किया है। पहले चरण में ये कार्यकम चम्पावत जिले के सभी चारों विकासखंडों की 40 संवेदनशील वन पंचायत क्षेत्रों में शुरु किया जाएगा। यूसर्क से शोध प्रस्ताव की मंजूरी मिलने पर डायट के प्राचार्य एचआर कोहली ने उनके इस प्रयास को डाइट तथा जिले के लिए एक अनुकरणीय प्रयास माना है। शोध कार्य में प्रवक्ता नवीन उपाध्याय सहित कुछ अन्य संकाय सदस्य और शिक्षक उनका सहयोग करेंगे।