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उत्तराखंड : ECI मुख्य सचिव को लिखा पत्र, कहा- जल्द करें इन बड़े अधिकारियों का तबादला, वजह जानें…

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देहरादून। केंद्रीय चुनाव आयोग (election commission of india) ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने को लेकर उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को पत्र लिखकर कहा है कि जिन अधिकारियों को एक स्थान पर तीन साल पूरे हो गए हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से उस जिले से बाहर स्थानांतरण किया जाए। चुनाव आयोग ने उत्तराखंड शासन से इस कार्रवाई को पूरा करने के बाद एक रिपोर्ट भी मांगी है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पत्र में लिखा गया है कि जिन जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी, एडीजी, एसपी सहित तमाम अधिकारियों को एक स्थान पर ड्यूटी करते हुए तीन साल से अधिक हो गए हैं, उनके ट्रांसफर किए जाएं और इसकी रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपी जाए। जल्द से जल्द राज्य की पांच लोकसभा सीटों पर होने जा रहे चुनाव के मद्देनजर तमाम अधिकारियों के स्थानांतरण किए जाए। चुनाव आयोग ने पत्र में लिखा है कि नियमित कवायद के तहत सरकार यह सुनिश्चित करे कि जो पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी अपनी 3 साल की सेवा की अवधि एक जिले में पूरी कर चुके हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से उस संसदीय क्षेत्र से ट्रांसफर किया जाए. चुनाव आयोग ने इस बात को भी स्पष्ट किया है कि ये ट्रांसफर जिले के अंदर न हों बल्कि दूसरे जिले में ही अधिकारी को तैनाती मिलनी चाहिए, ताकि स्वच्छ और स्वतंत्र चुनाव प्रक्रिया को पूरा करवाया जा सके। स्थानांतरण की प्रक्रिया को पूरा करने के बाद राज्य की चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को तत्काल प्रभाव से एक रिपोर्ट भी चुनाव आयोग को भेजने के लिए कहा गया है, ताकि पता चल सके कि अब तक इस दिशा में कितना काम हुआ है।

निर्वाचन आयोग की नियमावली कहती है कि चुनाव के दौरान जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में तैनात होना पड़ता है, उन अधिकारियों की ड्यूटी उनके गृह क्षेत्र और उस स्थान पर नहीं होनी चाहिए, जहां पर वो 3 साल से ड्यूटी कर रहे हैं। इसमें वो अधिकारी शामिल होते हैं जो सीधे तौर पर पर्यवेक्षी क्षमता में किसी तरह से चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं। निष्पक्ष और निर्भय चुनाव हो सकें, इसके लिए सभी अधिकारियों को एक जिले से दूसरे जिले में भेजा जाता है।

उत्तराखंड राज्य को मिली छूट:- चुनाव आयोग ने पत्र में कहा है कि जिस राज्य में पांच या उससे कम लोकसभा सीटें हैं, उन राज्यों में इसके लिए छूट दी जाएगी। लिहाजा, उत्तराखंड राज्य इस विषय पर छूट पाने का अधिकार रखता है।