जली हुई कार में महिला का शव मिलने का मामला : ओडिशा के भाई-बहन ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर चमोली में मौत को लगाया गले, हर बिजनेस में हुआ घाटा, मार्मिक है कहानी, गहरी खाई में मिला भाई का शव

चमोली/उत्तराखंड। ज्योतिर्मठ में तपोवन के पास सुभाई मोटर मार्ग पर जली कार में महिला का कंकाल मिलने के बाद अब लापता पुरुष का शव भी बरामद हो गया है। बीती रविवार को जली कार में महिला का कंकाल (बुरी तरह जला शव) मिला था। वहीं, अब 4 दिन बाद घटनास्थल से करीब 100-200 मीटर की दूरी पर गहरी खाई में पुरुष का शव मिला है। यह शव कार के भीतर जली महिला के भाई का है। गौर हो कि बीती 6 अप्रैल को चमोली जिले में तपोवन क्षेत्र में सुभाई मोटर मार्ग पर चांचड़ी गांव के पास कर्नाटक राज्य से रजिस्टर्ड एक रिट्ज कार संख्या KA01/ AG0590 जली हुई मिली थी। जिसके अंदर बुरी तरह से जली हुई एक महिला की लाश भी मिली थी। इस घटना से पहले स्थानीय लोगों को महिला के साथ एक पुरुष भी घूमता दिखा था, जो घटना के बाद से लापता चल रहा था।


शव मिलने के साथ भाई बहन की मौत को लेकर आर्थिकी तंगी, बार-बार रोजगार के लिए प्रयास असफल होने को प्रमुख कारण माना जा रहा है। खास बात तो यह है कि भाई बहन ने एक साथ आत्महत्या करने के लिए कीटनाशक पदार्थ खाया। भाई ने बहन की धार्मिक प्रवत्ति होने के चलते उसके अंतिम संस्कार के लिए वाहन को जलाने के बाद खुद खाई में कूद कर जान दे दी। रविवार पांच अप्रैल को सुभाई भविष्य बदरी मोटर मार्ग पर चांचडी गांव के पास जली कार में महिला का नर कंकाल मिला था। हालांकि तब मौके से लापता कार स्वामी सुनील कुमार सेनापति को लेकर हत्या का अंदेशा जताकर पुलिस जांच में जुटी थी, लेकिन जांच के दौरान जो तथ्य सामने आए वह एक परिवार के सदस्यों की बार बार आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के प्रयासों में असफल होने व मौत को गले लगाने की दर्दनाक कहानी बंया करती है।
पुलिस जांच में यह तथ्य साफ हो गया कि घटना में कार के अंदर जली हुई महिला श्वेता सेनापति निवासी ओडिशा के रायगड़ा नगर के रुप में पहचान हुई है। महिला के साथ मौजूद कार स्वामी सुनील कुमार सेनापति मृतका का सगा भाई है। घटना के बाद से ही लापता सुनील कुमार सेनापति का फोन बंद आने व जांच के दौरान बेंगलुरु, कनार्टक, हरिद्धार, उड़ीसा में भाई बहन की आर्थिक स्थिति डामाडोल होने की जानकारी सामने आई थी। इस आधार पर पुलिस भी यह मान रही थी कि लापता सुनील ने कहीं इस घटना को अंजाम देने के बाद आत्महत्या न कर दी है। लिहाजा पुलिस, एसडीआरएफ लगातार घटना स्थल के जंगलों में सर्च अभियान चला रही थी। गुरुवार को डॉग स्क्वायड के साथ भारत तिब्बत सीमा पुलिस की भी मदद ली गई।

बताया गया कि घटना स्थल से 50 मीटर आगे तपाेवन की ओर चार सौ मीटर गहरी खाई में मृत महिला के संदिग्ध फरार भाई सुनील कुमार सेनापति का शव बरामद हुआ है। पुलिस द्वारा आईटीबीपी, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ, डॉग स्क्वायड का संयुक्त रेस्क्यू अभियान चला कर जंगल में ड्रोन के साथ जमीनी सर्च अभियान चलाया। इस दौरान रस्सियों के सहारे आईटीबीपी के जवान खाई में उतरे तो सुनील कुमार सेनापति का शव बरामद हो गया। बताया गया कि इसके हाथ भी जले थे। साथ ही मुंह से झाग भी आया था। पुलिस द्वारा शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए ज्योतिर्मठ लाया गया है।
मृतक का विसरा जांच के बाद ही यह साफ होगा कि उसने जहर पिया है या नहीं। लेकिन जो कहानी भाई बहन की मौत पर सामने आई है। वह पग पग पर असफलता व जीने की उम्मीद और फिर आत्महत्या का निर्णय पर खत्म हुई है। ज्योतिर्मठ के ढाक गांव में पांगर बासा होम स्टे में रहने के दौरान भाई बहन ने 11 अप्रैल को होम स्टे छोड़ने की बात होम स्टे स्वामी को कही थी। ये आर्थिक संकट के इस दौर से गुजर रहे थे कि उन्होंने कुछ समय पूर्व एक मोबाइल व जेवर भी बेचे थे तथा बातचीत के दौरान स्थानीय लोगों से आथिर्क तंगी की बात कही थी। सुनील कुमार सेनापति असफलता के चलते लंबे समय से नास्तिक हो गया था। वह मंदिरों में भी नहीं जाता था वह पूजा पाठ में भी शामिल नहीं होता था। जबकि उसकी बहिन धार्मिक प्रवत्ति पर विश्वास रखती थी।
पुलिस की मानें तो पूरा मामला आर्थिक तंगी से जुड़ा बताया जा रहा है. महिला का नाम श्वेता सेनापति और पुरुष का सुनील सेनापति था, जो ओडिशा के रायगढ़ के रहने वाले थे। जो करीब 15-16 साल पहले विशाखापट्टनम शिफ्ट हुए थे। विशाखापट्टनम में दोनों कारोबार करते थे, लेकिन बिजनेस में भारी नुकसान होने की वजह से उनकी पारिवारिक स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई। इसके बाद वे बेंगलुरु गए। मां-बाप के मौत के बाद तो सेनापति परिवार का और भी बुरा हाल होने लगा। अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए दोनों भाई-बहनों ने जगह-जगह बिजनेस किया, लेकिन बिजनेस में उन्हें कहीं भी सफलता नहीं मिली। वहीं, कोरोनाकाल में उनके भाई संतोष सेनापति की भी मौत हो गई। इसके बाद श्वेता और सुनील की आर्थिक स्थिति काफी खराब होने लगी।
“श्वेता और सुनील लंबे समय से आर्थिक तंगी से परेशान थे। दोनों जहां भी रहते, लोगों से पैसे मांग कर अपना भरण पोषण करते थे। हरिद्वार में भी उन्होंने साड़ी की दुकान खोली थी, लेकिन वहां भी घाटा हुआ। दोनों भाई बहन के पास मकान का किराया देने तक के पैसे नहीं रहे। जिसके बाद वो कुछ महीने पहले ही ज्योतिर्मठ के सुभाई क्षेत्र में रहने के लिए आए, लेकिन दोनों के पास पैसा न होने की वजह काफी परेशान चल रहे थे। जिस वजह से दोनों ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।” – सर्वेश पंवार, पुलिस अधीक्षक, चमोली
