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गैरसैंण में शहीद राज्य आंदोलनकारियों को दी गई श्रद्धांजलि, तर्पण कर किया श्राद्ध

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गैरसैंण। स्थाई राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के बैनर तले गैरसैंण के रामलीला मैदान में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को याद किया गया। संघर्ष समिति ने शहीद राज्य आंदोननकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों का श्राद्ध तर्पण किया गया। इस दौरान संघर्ष समिति ने स्थाई राजधानी गैरसैंण, शहीद राज्य आंदोलनकारियों को न्याय सहित सशक्त भू कानून व मूल निवास की मांग को लेकर सांकेतिक गिरफ्तारी दी। प्रसाशन के माध्यम से इन मांगों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन प्रेषित किया।

गैरसैंण के रामलीला मैदान में आज रामपुर तिराहा गोलीकांड व उत्तराखंड राज्य की मांग के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों के लिए श्रद्धांजलि सभा व श्राद्ध तर्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें उत्तराखंड राज्य के लिए अपनी शहादत देने वाले 43 आंदोलनकारियों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि व तर्पण दिया गया। इस अवसर पर स्कूली छात्र-छात्राओं ने शहीदों की याद में राज्य आंदोलन गीत व नाटक प्रस्तुत किये। वहीं पूर्व में गैरसैंण स्थाई राजधानी की मांग कर रहे आंदोलनकारियों के मुकदमे निशुल्क लड़ने पर संघर्ष समिति ने वरिष्ठ अधिवक्ता कुंवर सिंह बिष्ट को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।

स्थाई राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट ने कहा बड़ी शहादतों के बाद हमें ये उत्तराखंड राज्य मिला था, लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि इन 24 सालों में शहीदों के सपनों का उत्तराखंड नहीं बन पाया है। इस राज्य के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले शहीदों की शहादत को भुला दिया गया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि गैरसैंण को जल्द स्थाई राजधानी घोषित करें। वरिष्ठ अधिवक्ता कुंवर सिंह बिष्ट ने कहा आज उत्तराखंड राज्य बने 24 वर्ष हो चुके हैं लेकिन प्रदेश के हालात बद से बदतर हो चुके हैं। पूरे प्रदेश में भू माफिया हावी हैं। प्रदेश की बेशकीमती जमीनों को खुर्द बुर्द किया जा रहा है। चारों ओर भ्रष्टाचार, महिला अपराध व बेरोजगारी अपने चरम पर है।

नैनीताल से गैरसैंण पहुंचे पूर्व सांसद महेंद्र पाल ने कहा जिस मांग के लिए हम उत्तर प्रदेश से अलग हुए थे वो मांग अभी कोशों दूर है। उन्होंने कहा आज तक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड नहीं बन पाया है। उन्होंने कहा पहाड़वासी आज भी अपनी मूल-भूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।