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प्रदेश के शिक्षकों को मिलेगा यात्रा और 15 दिन का पितृत्व अवकाश, बैठक में बनी सहमति

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प्रदेश के शिक्षकों को यात्रा और 15 दिन का पितृत्व अवकाश मिलेगा। राजकीय शिक्षक संघ की लंबित मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर सहमति बनी है। संगठन के मुताबिक, उनकी अधिकतर मांगों पर कार्रवाई का आश्वासन मिला है। बैठक में निर्णय लिया गया कि अब हर तीन महीने में प्रांतीय कार्यकारिणी की विभाग के साथ बैठक होगी।

शिक्षा निदेशालय में हुई बैठक में शिक्षकों ने पुरानी पेंशन योजना का लाभ सभी शिक्षकों को दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि योजना को सभी के लिए बहाल किया जाए। सहायक अध्यापक से प्रवक्ता पदों पर पदोन्नति की जाए, शिक्षक शिक्षा संवर्ग की नियमावली बनाई जाए। ऐसे सभी शिक्षकों को जिन्हें 5400 रुपये ग्रेड पे देय है, उन्हें राजपत्रित घोषित किया जाए। वन टाइम सेटलमेंट के आधार पर अंतरमंडलीय तबादले किए जाएं और वरिष्ठ व कनिष्ठ शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर किया जाए।

बैठक में इसके अलावा अधिक छात्र संख्या वाले राजकीय इंटर कालेजों में उप प्रधानाचार्य का पद सृजित करने, शिक्षकों को स्वतः सत्रांत एवं स्थायीकरण का लाभ दिए जाने, पदोन्नति एवं तबादलों पर अनिवार्य रूप से काउंसिलिंग की व्यवस्था करने, पहले की तरह प्रशासनिक पदों पर प्रधानाध्यापक एवं प्रधानाचार्यों को भी पदोन्नत किए जाने का विकल्प दिए जाने एवं अटल उत्कृष्ट स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड से हटाकर फिर से इन्हें उत्तराखंड बोर्ड में शामिल करने की मांग की गई। शिक्षक संगठन के मुताबिक शिक्षा मंत्री ने अटल उत्कृष्ट स्कूलों की सीबीएसई से संबद्धता समाप्त करने को कैबिनेट में लाने का आश्वासन दिया।

शिक्षकों ने इन मांगों को भी प्रमुखता से उठाया

  • महिला शिक्षिकाओं को पहले की तरह सीसीएल का लाभ दिया जाए
  • मासिक परीक्षा हर माह न करवाकर दो परीक्षाएं अर्द्धवार्षिक परीक्षा से पहले एवं दो परीक्षाएं वार्षिक परीक्षा से पहले करवाई जाए
  • तदर्थ शिक्षकों का निरंतर 10 वर्ष की संतोषजनक सेवा पर पहले की तरह चयन वेतनमान स्वीकृत किया जाए
  • 1990 से 1993 तक नियुक्त तदर्थ शिक्षकों की सेवा को जोड़ते हुए ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाए
  • हर स्कूल में द्वितीय राजभाषा संस्कृत का पद (सअ) स्वीकृत किया जाए एवं हाईस्कूल स्तर पर मुख्य विषय के रूप में शामिल किया जाए
  • प्रधानाचार्य के पदों पर शत-प्रतिशत पदोन्नति की जाए।
  • छात्र संख्या के अनुसार हर विद्यालय में पदों का सृजन किया जाए।