उत्तराखण्डनवीनतम

उत्तराखंड : भाजपा विधायक के भाई के नेपाल सीमा में 40 कारतूस के साथ गिरफ्तार होने पर बवाल, कांग्रेस हुई हमलावर, राज्यपाल से मिलेगी कांग्रेस

ख़बर शेयर करें -

देहरादून। भाजपा विधायक के भाई समेत दो लोगों को भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एसएसबी द्वारा 40 जिंदा कारतूसों के साथ गिरफ्तार किए जाने के मामले में प्रदेश में बवाल मचा गया है। इस मामले में कांग्रेस भी हमलावर हो गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा और राज्य की धामी सरकार से कई सवाल पूछे हैं।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा है कि पाप का घड़ा अब भर चुका है। भाजपा विधायक के छोटे भाई को अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर सशस्त्र सीमा बल की 57वीं वाहिनी ने 40 अवैध कारतूसों के साथ गिरफ्तार किया है। माहरा ने आरोप लगाया कि इस घटना के बाद प्रशासन और पुलिस विधायक के भाई को बचाने में जुट गई है। क्योंकि यह बताया जा रहा है कि प्रशासन उनसे लाइसेंस दिखाने को कह रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि कोई कारतूस लेकर दूसरे देश में जा सकता है? क्या देश की सीमाएं लांघी जा सकती हैं? लेकिन प्रशासन लाइसेंस दिखाने का समय दे रहा है। भाजपा देश और राज्य को किस दिशा में ले जा रही है? आज इसे समझने की जरूरत है। इस तरह का कृत्य करने वालों के खिलाफ एक जुट होकर विरोध करें।

वहीं, मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि माओवाद के पुराने इतिहास को देखते हुए यह घटना अत्यधिक चिंताजनक है। इस मामले को प्रदेश सरकार से लेकर केंद्र सरकार दबाने में लग गई है। उन्होंने कहा कि नेपाल के बॉर्डर से लगे जिलों ने पहले भी इस बात की चिंता की थी कि बॉर्डर पर कुछ अवैध गतिविधियां हो रही हैं। जिसका आज प्रमाण मिल गया है कि किस प्रकार की गतिविधियों में कौन शामिल हैं।

हरीश रावत का कहना है कि नेपाल गवर्नमेंट ने हमारे लगे हुए जिलों के प्रशासन से कहा था कि बॉर्डर पर कुछ ऐसी गतिविधियां हो रही हैं जो चिंता का विषय है। नेपाल के साथ भारत के संबंधों की संवेदनशीलता को देखते हुए और इस क्षेत्र के आसपास माओवाद के पुराने इतिहास को देखते हुए यह घटना अत्यधिक चिंता का विषय हो गई है। यह घटना और भी चिंताजनक हो जाती है जब सत्ता पक्ष देहरादून से लेकर दिल्ली तक इस घटना को दबाने की कोशिश कर रहा है।

हरीश रावत का कहना है कि इस मामले को लेकर कांग्रेस राज्य के लोगों को समझाएगी। जरूरत पड़ी तो कांग्रेस और भी तथ्य इकट्ठा करके राज्यपाल के पास जाएगी और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े इस मामले को लेकर उनसे मुलाकात करेगी।