बाजार में छाए रहते हैं लोहाघाट के लोहे के बर्तन, महिलाएं करती हैं खुद तैयार, देश दुनिया में हो रही पहचान

लोहाघाट के लोहे के बर्तनों की मार्केट में काफी डिमांड है। इन दिनों हल्द्वानी में लोग लोहे के बर्तनों की जमकर खरीददारी कर रहे हैं


हल्द्वानी। सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा तांबे के बर्तनों के लिए फेमस है तो वहीं लोहाघाट के लोहे के बर्तनों की हमेशा मार्केट में भारी मांग रहती है। लोहाघाट के लोहे से बनी बर्तनों की मांग उत्तराखंड के साथ-साथ भारत के अन्य राज्यों में भी है। हल्द्वानी के एमबी ग्राउंड में सरस आजीविका मेले में लगे लोहे के बर्तनों की लोग बड़े पैमाने पर खरीद कर रहे हैं। वहीं लोगों द्वारा बर्तनों की ऑनलाइन डिमांड भी की जा रही है।
लोहाघाट के लोहे के बर्तनों को लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। लोग जरूरत के हिसाब से खरीद के बर्तनों को अपने घर ले जा रहे हैं। पूर्णागिरि स्वयं सहायता समूह की संचालिका नारायणी देवी ने बताया है कि लोहाघाट की लोहे की कढ़ाई के अलावा लोहे की अन्य बर्तनों की डिमांड काफी रहती है। यहां तक की उनके द्वारा तैयार किए गए लोहे की बर्तनों की ऑनलाइन भी डिमांड किए जा रहे हैं। नारायणी देवी ने बताया कि लोहाघाट में तैयार किए गए लोहे के बर्तन पूरी तरह से पारंपरिक तरीके से तैयार किए जाते हैं।

जहां लोहे की चादर को चीड़ की छाल में पकाकर फिर हाथों से हथौड़े से पीट-पीट कर बनाया जाता है। लोहे के बर्तन में खाना काफी स्वादिष्ट बनता है। इसलिए बर्तनों की मार्केट में मांग रहती है। नारायणी देवी ने बताया कि समूह द्वारा लोहे की कढ़ाई, परात, फ्राई पैन, तवा, कुल्हाड़ी, बसूला, पलटे, डाड़ू, चिमटे, दरांती, छलनी, सग्गड़, चाकू समेत सभी प्रकार के बर्तन तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा देश में जहां कहीं भी प्रदर्शनी लगाई जाती है, वहां पर समूह की महिलाओं द्वारा लोहे की बर्तनों का स्टॉल लगाया जाता है।
उन्होंने बताया है कि उनके समूह में 40 महिलाएं लोहे का बर्तन बनाने का काम करती हैं, जिससे वह सालाना लाखों की कमाई कर रही हैं। कहा कि ये उनका खानदानी काम है और पिछले कई दशकों से लोहे का बर्तन उनका परिवार बनाता आ रहा है। आज समूह के माध्यम से बड़े स्तर पर लोहाघाट के लोहे के बर्तनों की पहचान देश दुनिया में दिला रहे हैं। उन्होंने कहा कि बर्तन प्योर लोहे से बना होता है। जिनकी कीमत 300 रुपये किलो के हिसाब से होती है।
गौरतलब है कि इन महिलाओं को अपनी कला की वजह से पूर्व मुख्यमंत्री के अलावा वर्तमान मुख्यमंत्री सीएम पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड के राज्यपाल द्वारा अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है। नारायणी देवी ने बताया कि समूह द्वारा अब लोहे के कुकर तैयार किए जाएंगे जिससे कि लोग लोहे के कुकर में खाना पकाकर खा सकेंगे।
