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जयंती पर विशेष : स्वामी विवेकानंद ने मायावती आश्रम में मनाया था 38 वां जन्मदिन, बर्फबारी में आइसक्रीम खाने की जताई थी इच्छा

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चम्पावत/उत्तराखंड। आज यानी कि 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती है। जिसे राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद के उत्तराखंड से लगाव कि अगर बात करें तो स्वामी जी ने साल 1901 को हल्द्वानी से पैदल व घोड़े से चम्पावत जिले के लोहाघाट के समीप स्थित अद्वैत मायावती आश्रम पहुंचकर अपना 38वां जन्मदिन मनाया था। अपनी आध्यात्मिक यात्रा में उत्तराखंड की लोहाघाट पहुंचे स्वामी विवेकानंद के प्रवास के उपरांत यह स्थान आज विश्व प्रसिद्ध है। यहां कि आध्यात्मिक शांति व प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य को देखने हर वर्ष हजारों पर्यटक लोहाघाट के मायावती आश्रम पहुंचते हैं।

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देश के साथ ही हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद का लोहाघाट अद्वैत मायावती आश्रम में जन्मदिन मनाया जाता है। वहीं स्वामी विवेकानंद ने साल 1901 में चम्पावत जिले के लोहाघाट स्थित मायावती आश्रम में अपना 38वां जन्मदिन मनाया था। स्वामी विवेकानंद के लोहाघाट मायावती आश्रम पहुंचने के उपरांत यह स्थान वर्तमान में विश्व प्रसिद्ध है। लोहाघाट में लगभग पांच दशकों तक पत्रकारिता कर चुके वरिष्ट पत्रकार गणेश दत्त पांडे बताते हैं कि 12 जनवरी 1901 को स्वामी विवेकानंद ने अपना 38वां जन्मदिन मायावती आश्रम लोहाघाट में मनाया था। तीन जनवरी, 1901 को स्वामी जी काठगोदाम से पैदल व घोड़े में सवार होकर मायावती आश्रम पहुंचे थे।

तब उनके साथ स्वामी शिवानंद एवं स्वामी सदानंद जी थे। उन्हें लेने के लिए मायावती आश्रम से स्वामी विरजानंद व स्वामी स्वरूपानंद जी गए थे। तीन जनवरी को जब स्वामी विवेकानंद यहां पहुंचे तो प्रकृति ने श्वेत चादर बिछाकर उनका स्वागत किया। चारों ओर की पहाड़ियां बर्फ से ढकी हुई थीं। हालांकि ठंड एवं थकान के कारण उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था। किंतु यहां के प्राकृतिक नजारे को देखकर वह सब कुछ भूल गए। कुछ दिन बाद मौसम खुलने पर जब वे आश्रम से डेढ़ किलोमीटर दूर ऊंची पहाड़ी में स्थित धरमघर स्थान में जाकर वहां से हिमालय की केदारनाथ से लेकर नेपाल तक की पर्वतमालाओं को देखा तो वो काफी अभिभूत हुए। स्वामी विवेकानंद ने इस हिमालयी क्षेत्र में अपना शेष जीवन बिताने की इच्छा व्यक्त की थी।

विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक पत्रिका प्रभुद्ध भारत के संपादक स्वामी दिव्यकृपानंद महाराज का कहना है कि स्वामी जी के यहां चरण पड़ना एक युगांतकारी घटना थी। तब से यह स्थान दिव्य व भव्य बनकर दुनिया के लोगों की आस्था का केंद्र बन गया। उधर मायावती प्रवास के दौरान ही स्वामी विवेकानंद ने यहां अपना जन्मदिन मनाया और जन्मदिन पर स्वामी जी ने आइसक्रीम खाने की इच्छा व्यक्त की थी। वहां जमी बर्फ से स्वामी विरजानंद जी ने आइसक्रीम तैयार कर सबको बांटकर खुशी का इजहार किया। हालांकि उस दौरान वहां काफी ठंड थी।

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि यहां रहने वाले लोग कितने भाग्यशाली हैं, जिन्हें इस सुरम्य स्थान में रहने का ईश्वर ने अवसर दिया है। गौरतलब है की स्वामी विवेकानंद जी की उत्तराखंड में आध्यात्मिक यात्रा के दौरान मायावती आश्रम में 1901 को किए पड़ाव के बाद आज यह विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। जिसमें भारत समेत विदेशों से हजारों पर्यटक आध्यात्मिक शांति के लिए मायावती आश्रम पहुंचे हैं।

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